01/01/2011 12:07
एक बेनाम लड़की, ठंड से कंपकपाती, भूखी और थकी हुई ताज्जुब कर रही हूं कि नया साल मेरे लिए क्या लाएगा? ज्यादा भूख? अधिक थकावट? घोर निराशा?
मैं अपनी मां को ट्रैफिक लाइट पर देख सकती हूं। वह चमचमाते कारों के शीशे थपथपा रही हैं, ताकि उन्हें कुछ सिक्के मिल सके। और अगर वह कार मालिक को ज्यादा परेशान करने में सफल रहीं, तो शायद दस रुपये का नोट उनके चेहरे पर गुस्से से फेंका जा सकता है, ताकि वह वहां से हटे और कार मालिक मोबाइल फोन पर अपनी बातचीत जारी रख सके। मेरी छोटी बहन और भाई पुरानी लौंड्री के नजदीक पटरी...