से हत की कुंडली सुनने में थोडी अटपटी लग सकती है। लेकिन एस्ट्रो आयुर्वेद विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई सेहत की कुंडली ग्रह, नक्षत्रों की चाल तो बताएगी ही, इसके साथ उनके द्वारा होने वाली शारीरिक व्याधियों और आयुर्वेद और योग के माध्यम से उनके उपचार,बचने के उपाय आदि के बारे में भी जानकारी देगी। इससे व्यक्ति आने वाले समय में होने वाले शारीरिक कष्टों से निबटने की पहले से ही तैयारी कर सकेंगे। आर्युज्योतिष यानि एस्ट्रो आयुर्वेद एक नई स्वास्थ्य प्रणाली है जिसे पूर्णत: प्राकृतिक तत्वों पर केंद्रित किया गया है।
आर्युज्योतिष की इस वैज्ञानिक परिकल्पना में पृथ्वी को ब्रह्मांड के एक पिंड के तौर पर देखा गया है तो मानव को उसका एक कण माना गया है। वैज्ञानिक अवधारणा यह है कि जिस प्रकार सूर्य की किरणें, उनकी तीक्ष्णता, उनका मंद होना पृथ्वी को प्रभावित करते हैं। उसी तरह वे पृथ्वी के कणों और कण रूपी मानवों को प्रभावित करती है। जिस तरह सूर्य की किरणों का पृथ्वी के अलग-अलग भाग पर जल, पौधों, नदी, समुद्र, पर्वत,रेगिस्तान, तालाबों आदि पर अलग-अलग असर होता है, उसी प्रकार प्रत्येक व्यक्ति पर भी उनका अलग-अलग असर होता है। लेकिन वह असर किस तरह भिन्न है यह हर व्यक्तिकी अलग-अलग सेहत कुंडली पर निर्भर करता है। इसके लिए उन परंपरागत आर्युज्योतिषियों की आवश्यकता है जो व्यक्ति विशेष के लिए अलग-अलग जन्म कुंडली की तरह स्वास्थ्य एवं शरीर संरचना पर केंद्रित सेहत कुंडली तैयार कर सकें। अब जन्म कुंडली की ही तरह सेहत की भी कुंडली बनने लगी है। कभी योतिष हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य का लेखा जोखा दिया करता था। अब योतिष और आयुर्वेद के प्राचीन ज्ञान को समाहित कर सेहत की कुंडली बनाई जा रही है। योतिष द्वारा तारों और नवग्रहों की गति से संचालित होने वाले जीवन के बारे में अनेक गणनाएं उपलब्ध हो जाती हैं। सूक्ष्म विज्ञान पर आधारित यह प्राचीन भारतीय ज्ञान अब मानव जीवन के भले के लिए नए रूप में पेश हो रहा है और योतिष विद्या अब सेहत की कुंडली बनाने का माध्यम बन गई है।
This section is empty.