आरुषि तलवार हत्याकांड पर सीबीआई द्वारा सौंपी गई क्लोजर रिपोर्ट पर सात जनवरी को सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई होगी। सीबीआई की विशेष अदालत की न्यायाधीश प्रीति सिंह ने अपने आदेश में सीबीआई के जांच अधिकारी को सात जनवरी को सुनवाई के दौरान सभी दस्तावेजों के साथ अदालत में मौजूद रहने का निर्देश दिया है। इससे पहले इस मामले को बंद करने से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की रिपोर्ट अदालत में दर्ज कर ली गई। अदालत ने सीबीआई से पूछा है कि उसने यह मामला बंद करने में जल्दबाजी क्यों की?
रिपोर्ट पेश करने में जल्दबाजी क्यों?
दरअसल, सीबीआई को अदालत के गुस्से का सामना करना पड़ा। सुबह 11.30 बजे न्यायाधीश प्रीति सिंह की अदालत में जब मामला पेश हुआ तो उन्होंने सीबीआई के वकील से पूछा कि आरुषि मामला बंद करने सम्बंधी रिपोर्ट पेश करने में जल्दबाजी क्यों दिखाई गई। सीबीआई के वकील आर.एस. सैनी ने अपने जवाब में कहा कि उन्हें 31 दिसम्बर तक ही मामलों को बंद करने सम्बंधी रिपोर्ट पेश करनी होती है और यह हमेशा की सामान्य प्रक्रिया है। सैनी ने कहा कि यह सीबीआई का सामान्य कार्य है। जब अदालत को लगता है कि समापन रिपोर्ट में संलग्नक नहीं हैं तब जांच अधिकारी बाद में सभी संलग्नक भी पेश कर देंगे।
क्लोजर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा
अदालत में आरुषि के अभिभावक राजेश व नुपूर तलवार भी मौजूद थे। वह सीबीआई की रिपोर्ट की प्रति लेने के लिए वहां आए थे। दरअसल सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में 16 मई, 2008 को हुए आरुषि व तलवार परिवार के नौकर की हत्या के मामले में राजेश तलवार को एकमात्र संदिग्ध बताया है। जब तलवार के वकील से उनकी आगे की योजना के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कह कि हम आगे की कार्रवाई पता करने और राजेश तलवार को एकमात्र संदिग्ध बताए जाने के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए यहां आए थे लेकिन तब सब कुछ बदल गया जब अदालत ने सीबीआई से पहले क्लोजर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा है।
मामला बंद करने की इजाजत मांगी
इससे पहले सीबीआई ने बुधवार को गाजियाबाद अदालत से सबूतों के अभाव में अनसुलझा आरुषि हत्याकांड मामला बंद करने की इजाजत मांगी थी। 16 मई, 2008 को नोएडा में जलवायु विहार स्थित तलवार परिवार के अपार्टमेंट में आरुषि को संदिग्ध अवस्था में मृत पाया गया था। इसके एक दिन बाद उनके अपार्टमेंट की छत पर तलवार परिवार के घरेलू नौकर हेमराज का शव पाया गया
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