आदरणीय
संसार का प्रत्येक प्राणी जन्म लेता है और मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, यह चक्र सदा से चलता आया है और चलता रहेगा। न जाने कितने लोग इस दुनिया में आकर यहाँ से चले गये हैं, आज कोई उनका नाम भी नहीं जानता। किन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिनके इस दुनिया से चले जाने पर भी वे अपने देश और समाज के...
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गुरुदेव ने रामानुजाचार्य को अष्टाक्षर नारायण मंत्र का उपदेश देकर समझाया- वत्स! यह परम पावन मंत्र जिसके कानों में पड़ जाता है, वह समस्त पापों से छूट जाता है। मरने पर वह भगवान नारायण के दिव्य वैकुंठधाम में जाता है।
जन्म-मृत्यु के बंधन में वह फिर नहीं पड़ता। यह अत्यंत गुप्त मंत्र है, इसे किसी...
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तेईस जुलाई वर्ष 1916 को लोकमान्य तिलक की ६क्वीं वर्षगांठ थी। दो वर्ष पूर्व ही वे मांडले में 6 वर्ष की सजा पूर्ण कर छूटे थे। उनका जन्मोत्सव उनके सभी स्नेहीजनों ने धूमधाम से मनाने का निश्चय किया। यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया कि पूना में तिलक का सार्वजनिक अभिनंदन किया जाएगा और सम्मानस्वरूप...
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अश्विनी कुमार दत्त जब हाईस्कूल में पढ़ते थे, उस समय कलकत्ता विश्वविद्यालय का नियम था कि सोलह वर्ष से कम उम्र के विद्यार्थी हाईस्कूल की परीक्षा में नहीं बैठ सकते। इस परीक्षा के समय अश्विनी कुमार की उम्र 14 वर्ष थी। किंतु जब उन्होंने देखा कि कई कम उम्र के विद्यार्थी सोलह वर्ष की उम्र लिखाकर...
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30 जनवरी 1948 को राजधानी स्थित बिड़ला हाउस में शाम के वक्त प्रार्थना सभा के बाद जब महात्मा गाँधी को गोली मारी गई तो उनके हमलावर को वहाँ मौजूद आम लोगों ने पकड़ा था क्योंकि गाँधीजी के निर्देश पर परिसर के अंदर पुलिस के आने पर मनाही थी।
गाँधीजी की हत्या के चश्मदीद रहे कृष्ण देव मदान बताते...
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इटली में क्रेसिन नाम का किसान रहता था। वह बुद्धिमान और परिश्रमी था। अपनी खेती में उन्नति के लिए वह सदैव प्रयत्नशील रहता था। एक बार उसने अपनी मेहनत के दम पर इतनी अच्छी पैदावार की कि लोग आश्चर्य के साथ ईष्र्या करने लगे। लोगों ने सोचा कि अवश्य ही क्रेसिन कोई जादू जानता है। उन्होंने इस बात को...
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इंग्लैंड के राजा हेनरी चतुर्थ का बड़ा पुत्र आगे हेनरी पंचमके नाम से प्रसिद्ध हुआ। बचपन में वह अत्यंत उजड्ड और मुंहफट था। उसकी संगति भी बहुत अभद्र और दुष्ट लोगों के साथ थी। एक बार उसके एक मित्र को किसी अपराध पर मुख्य न्यायाधीश ने कैद की सजा सुनाई।
राजपुत्र अदालत में उपस्थित था। सजा...
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अब्राहम लिंकन का बचपन अभावों में बीता। कभी नाव चलाकर, तो कभी लकड़ी काटकर वे जीविका चलाते थे। उन्हें महापुरुषों के जीवन चरित्र पढ़ने में बड़ा आनंद आता था। किंतु पुस्तक खरीदकर पढ़ना उनके लिए कठिन था। वे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन के जीवन से बहुत प्रभावित थे।
एक बार उन्हें...
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